Karni Mata Mandir, Bikaner/करणी माता मंदिर, बीकानेर
बीकानेर के देशनोक में स्थित करनी माता का यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला एवं अत्यधिक संख्या में चूहों के लिए प्रसिद्ध है। करनी माता बीकानेर के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी, चूहों की देवी व चारण जाति की कुलदेवी है। करनी माता जी को माँ दुर्गा का ही अवतार माना जाता है, जिन्होंने जन कल्याण के लिए अवतार लिया था। करनी माता मंदिर , हिन्दू मान्यता के अनुसार, शक्ति को समर्पित पवित्रतम हिन्दू मंदिरों में से एक है। इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी, करणी माता को सामान्यतः दाढ़ी वाली डोकरी और करणी जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर हर साल लाखों भक्तों और उत्सुक पर्यटकों को आकर्षित करता है।
करणी माता मंदिर में मुख्य आकर्षण
इस मंदिर में लगभग 25000 काले चूहे हैं, जिन्हें स्थानीय तौर पर काबा कहा जाता है। ये चूहे मंदिर परिसर में खुलेआम घूमते हैं और भक्त उन्हें करणी माता के अनुयायियों की आत्माओं का अवतार मानते हैं। ये चूहे इतने पवित्र हैं कि उन्हें नुकसान पहुंचाना एक गंभीर पाप माना जाता है। दुर्घटनावश किसी चूहे के मारे जाने की स्थिति में, भक्त को मृत चूहे की जगह सोने या चांदी का चूहा मंदिर में चढ़ना पड़ता है। इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि चूहों की बड़ी संख्या के बावजूद भी, बीमारियां और संक्रमण इस मंदिर में नहीं है। इस कारण मंदिर का रहस्य और आकर्षण ओर भी बढ़ जाता है। मंदिर का एक अनूठा पहलू सफेद चूहों का दर्शन है, जिन्हें विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि वे करणी माता और उनके परिवार का प्रतीक है। आगंतुक अक्सर इन सफेद चूहों की एक झलक पाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं।
करणी माता मंदिर की वास्तुकला
करणी माता मंदिर, राजपूताना कला के साथ मिश्रित मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का अग्रभाग जटिल नक्काशीदार संगमरमर से बना है, जबकि आंतरिक गर्भगृह में करणी माता जी की मूर्ति है। विशाल चांदी के द्वार और विभिन्न देवताओं को दर्शाती संगमरमर की नक्काशी मंदिर के सौन्दर्य आकर्षण को बढ़ाती है। मंदिर के फर्श पर अक्सर भक्तों द्वारा चूहों के लिए चढ़ाया गया अनाज और दूध बिखरा रहता है। मंदिर परिसर में मनुष्यों और चूहों का सामंजस्यपूर्ण सह अस्तित्व एक ऐसा दृश्य है, जो आगंतुकों को आश्चर्यचकित करता है। करणी माता मंदिर सिर्फ पूजा अर्चना का स्थान ही नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिकता, संस्कृति और जिज्ञासा का एक अनूठा संगम भी है। आगंतुक अक्सर शांत वातावरण, इधर उधर भागते चूहों और मंदिर के अनुयायियों की अटूट भक्ति से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
नवरात्रि उत्सव
यह मंदिर नवरात्रि के त्यौहारों के दौरान जीवंत हो उठता है, जो साल में दो बार मार्च अप्रैल और सितंबर अक्टूबर में आयोजित होता है। करणी माता से आशीर्वाद लेने के लिए लाखों भक्त इन दिनों मंदिर में आते हैं। मंदिर के जीवन्त मेले, जुलूस और धार्मिक समारोह इसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बनाते हैं। मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक के ठंडे महीनों का है, क्योंकि गर्मियों में राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।