राजस्थान का सीकर जिला अपनी समृद्ध संस्कृति, खाटू श्याम जी के मंदिर और लक्ष्मणगढ़ के किले के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। 17 वीं शताब्दी में स्थापित सीकर जयपुर रियासत का सबसे बड़ा ठिकाना था। इसके संस्थापक राव शिवसिंह थे। वर्तमान में सीकर जिला शिक्षा की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी काफी मशहूर है। सीकर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को हम निम्न प्रकार श्रेणीबद्ध कर सकते हैं ...
(1).मंदिर
सीकर जिले में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो धार्मिक आस्था के साथ साथ पर्यटन की दृष्टि से भी काफी मशहूर है...
1.खाटू श्याम जी का मंदिर
सीकर जिले के खाटू गांव में यह तीर्थ स्थल स्थित है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण के ही स्वरूप श्याम जी का मंदिर है। यहां पर श्याम बाबा की शीश पूजा ही की जाती है। मुखाकृति दाढ़ी मूंछ से समन्वित है। श्याम बाबा को शीशदानी बाबा के नाम से भी जाना जाता है। हर साल लाखों भक्त अपनी अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए खाटू श्याम मंदिर में पहुंचते हैं। खाटू श्याम मंदिर के निर्माण की कहानी महाभारत महाकाव्य से शुरू होती है। बर्बरीक को भगवान श्रीकृष्ण का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम के प्रतीक के रूप में अपने शीश का बलिदान दे दिया था। इस शीश दान से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलयुग में श्याम नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। ऐसी मान्यता है कि करीब एक हजार साल पहले एक ग्वाला खाटू गांव की गायों को चराने ले जाता था। उनमें से एक गाय गांव के बाहर एक जगह पर रुक जाती थी, और उसके स्तनों से अपने आप दूध की धारा बहने लगती थी। जैसे कोई जमीन के अंदर से दूध पी रहा हो। यह दृश्य देखकर ग्वाला काफी परेशान हुआ और इस रहस्य का पता लगाने के लिए उसने गांव वालों के साथ उस स्थान पर खुदाई चालू की। काफी खोदने के बाद उस धरा से एक बक्सा मिला, जिस पर बर्बरीक लिखा हुआ था। उस बक्से में महान योद्धा बर्बरीक का शीश काले शालिग्राम रूप में मिला। बाद में राजा रूप सिंह चौहान ने उस शीश को एक मंदिर में स्थापित कर दिया। आज यह मंदिर खाटू में स्थित है और आज भी खाटू में इसी शीश की पूजा की जाती है।
खाटू में श्याम मंदिर से कुछ ही दुरी पर श्याम कुंड स्थित है। माना जाता है कि यह वही स्थान है, जहां खुदाई के समय बाबा श्याम का शीश मिला था। इस कुंड को श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस कुंड का जल गंगाजल के समान पवित्र है। इस कुंड में स्नान करने से भक्तों को चर्मरोग से मुक्ति मिलती है, साथ ही इस कुंड में कोई गर्भवती महिला स्नान करे तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इस कुंड में स्नान करने से तनाव से मुक्ति के साथ साथ मानसिक शांति मिलती है। यह कुंड अंडाकार आकृति का बना हुआ है, व 12 महीने पवित्र जल से भरा रहता है। कहते हैं कि यह जल सीधा पाताल से आता है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करके बाबा के दर्शन करने से भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त बाबा को गुलाब के फूल अर्पित करते हैं। सीकर जिले से खाटू श्याम मंदिर की दूरी 54 km है।
2. जीण माता मंदिर
जीण माता का मंदिर सीकर जिले के रेवासा गांव से दक्षिण की ओर अरावली पर्वतमाला की उपत्यका में स्थित है। जीण माता को भंवरों वाली माता भी कहा जाता है। लोक कथाओं के अनुसार जीण माता का जन्म अवतार राजस्थान के चुरु जिले के घांघू गांव के अधिपति एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीण माता के बड़े भाई का नाम हर्ष था। जीण माता को शक्ति का अवतार व उनके बड़े भाई को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। जीण माता चौहान वंश की कुल देवी है। जीण माता का यह मंदिर प्राचीन काल से ही सीकर का एक मुख्य मंदिर रहा है और इसकी कई बार मरम्मत और पुनर्निर्माण कराया गया है। जीण माता को शराब का भोग लगाया जाता है। इस भोग में माता को मात्र ढ़ाई प्याला शराब ही चढ़ाई जाती है। इस ढ़ाई प्याले शराब में एक बूंद भी कम हो तो माता प्रसाद स्वीकार नहीं करती है। जीण माता का यह प्राचीन मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। ये मंदिर ना सिर्फ खूबसूरत जंगल के बीचोबीच बना है, बल्कि तीन छोटी पहाड़ियों के बीच स्थित है। जीण माता का यह मंदिर सीकर जिले से मात्र 29 km की दुरी पर स्थित है।
3. हर्षनाथ का मंदिर
हर्ष की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में 10 वीं सदी की लिंगोदभव मूर्ति में ब्रह्मा व विष्णु को शिवलिंग का आदि एवम् अंत जानने हेतु परिक्रमा करते हुए दिखाया गया है। हर्षनाथ मंदिर 956 ईसवी में विग्रहराज चौहान के काल में निर्मित कराया गया। इस मंदिर का निर्माण हर्षगिरि पर विक्रम संवत् 1013 की आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी को पूर्ण हुआ। यह मंदिर अल्लट नाम के शैव आचार्य द्वारा बनवाया गया था। यहां श्री हर्ष के नाम से महादेव की उपासना की जाती है। वर्तमान में यह मंदिर खंडहर रूप में है और मुख्य मंदिर के चारों ओर कई तीर्थस्थल व मंदिर है। अपनी जीर्ण अवस्था के बावजूद, मुख्य मंदिर असाधारण निर्माण और अपने स्तंभों पर सुंदर नक्काशी के लिए जाना जाता है। यह मंदिर हिन्दू वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। इस मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है, जिसे शुभ दिशा माना जाता है, क्योंकि सूर्योदय इसी दिशा से होता है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही, सबसे पहले भगवान शिव की सवारी नंदी के दर्शन होते हैं। आगे अंदर जाने पर आप देवी पार्वती को अपनी सहेलियों के साथ देखेंगे। मंदिर के अंदर आप मुख्य मण्डप देख सकते हैं और भगवान शिव एक वीर की तरह अपने स्थान पर आराम करते हुए दिखाई देते हैं। सीकर जिले से इस मंदिर की दूरी 21 km है।
4. श्री शाकंभरी माता मंदिर
यह आस्था केंद्र सकराय धाम, सीकर में अरावली पर्वत में मालकेतु पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में ब्राह्मणी और रूद्राणी की दो मूर्तियां हैं। ब्राह्मणी की मूर्ति संगमरमर और रूद्राणी की मूर्ति स्थानीय पत्थर की बनी हुई है। यह मंदिर शाकंभरी देवी को समर्पित है, जिन्हें साग की देवी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शाकंभरी देवी को प्रकृति और हरियाली की देवी माना जाता है। अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर अदभुत प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि देवी ने एक समय में धरती को अकाल से बचाने के लिए हरियाली और साग सब्जियों से समृद्ध किया था। इसलिए उन्हें शाकंभरी नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की संरचना प्राचीन राजस्थानी शैली में बनी है और इसकी मूर्तियां व नक्काशी बेहद आकर्षक है। मंदिर में नवरात्रि और शाकंभरी पूर्णिमा जैसे अवसरों पर भव्य उत्सव मनाए जाते हैं। इन दिनों यहां बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं को यहां दर्शन करने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति जागरूकता के लिए भी महत्व रखता है।